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प्रतिभाशाली युवा साहित्यकार शिव कुशवाहा की कविताएँ

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'आपकी कलम से' स्तम्भ के अंतर्गत पढ़िए प्रतिभाशाली युवा साहित्यकार शिव कुशवाहा की कविताएँ भाषा की अनुभूतियां पक्षियों की तरह नहीं होती मनुष्यों की भाषा पक्षियों की अनुभूति  भाषा के साथ जुड़ी रहती है इसलिए वे सदियों तक समझते हैं अपने आत्मिक संवाद मनुष्य भाषाओं पर झगड़ते हैं उसके संवेदनसिक्त हर्फ़ों को  हथियार बनाकर भेदते हैं एक दूसरे का हृदय मनुष्यों की भाषा के शब्द ग्लोबल हो रही दुनिया में बड़ी बेरहमी से  संस्कृतियों से हो रहे हैं दूर भाषिक सभ्यता के खंडहर में  दबे हुए मनुष्यता के अवशेष और शिलालेखों पर उकेरी गयी  लिपियों के अंश  अपठित रह गए मनुष्यों के लिए भाषा की अनुभूतियां  विलुप्त हो रही हैं  अवसान होते खुरदरे समय में  कि अब छोड़ दिया है मनुष्यों ने  संवेदना की भाषा में बात करना.. फूल और स्त्री खिले हुए फूलों की सुंदरता सबसे अधिक आकर्षित करती है एक स्त्री को और एक स्त्री की सुंदरता पूरी दुनिया को करती है नजरबंद  खिले हुए फूलों के  बहुत करीब होती है स्त्री  और स्त्री बहुत करीब होती है सुकोमल भावनाओं के. स्त्री के विचार होते हैं...