ग़ज़ल (Ghazal)- लोग कहते हैं मोहब्बत हो गई
'आपकी कलम से' स्तम्भ के अंतर्गत आज प्रस्तुत है बलजीत सिंह 'बेनाम' जी की ग़ज़लें-
ग़ज़ल #१
मिल गई हो जिसे घूँट भर ज़िंदगीशब उसी के लिए है सहर ज़िंदगी
साथ तेरे हो कैसे बसर ज़िंदगी
संग मैं हूँ तू शीशे का घर ज़िंदगी
जन्म जिसने लिया उसको मरना पड़ा
कर सका कौन आख़िर अमर ज़िंदगी
जी रहे हैं सभी एक ही ढँग से
बेअदब ज़िंदगी बेहुनर ज़िंदगी
मैं तो पलकें बिछा कर थका हूँ बहुत
मेरी राहों से अब तो गुज़र ज़िंदगी
ग़ज़ल #२
देखिए क्या उसकी हालत हो गई।
लोग कहते हैं मोहब्बत हो गई।
नींद रातों को हमें आती नहीं,
दर-बदर फिरने की आदत हो गई।
आइने की घूरती नज़रें कहें,
आप की दुश्मन नज़ाकत हो गई।
ज़ालिमों पर खौफ़ तारी हो गया,
जब ख़ुदा की उस पे रहमत हो गई।
कुछ वजह बतलाइए हमको ज़रा,
क्यों शरीफ़ों से अदावत हो गई।
रचनाकार का परिचय
लोग कहते हैं मोहब्बत हो गई।
नींद रातों को हमें आती नहीं,
दर-बदर फिरने की आदत हो गई।
आइने की घूरती नज़रें कहें,
आप की दुश्मन नज़ाकत हो गई।
ज़ालिमों पर खौफ़ तारी हो गया,
जब ख़ुदा की उस पे रहमत हो गई।
कुछ वजह बतलाइए हमको ज़रा,
क्यों शरीफ़ों से अदावत हो गई।
रचनाकार का परिचय
बलजीत सिंह 'बेनाम'
सम्प्रति:संगीत अध्यापक
विविध मुशायरों व सभा संगोष्ठियों में काव्य-पाठ
विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित
विभिन्न मंचों द्वारा सम्मानित
आकाशवाणी हिसार और रोहतक से काव्य-पाठ
सम्पर्क सूत्र:
103/19 पुरानी कचहरी कॉलोनी,
हाँसी:125033
मो0: 9996266210
यदि आप भी अपनी रचनाएँ "हिंदीजन डॉट कॉम" पर प्रकाशित कर प्रतिदिन हजारों पाठकों तक पहुँचना चाहते हैं तो यहाँ क्लिक करें.
यदि आप भी अपनी रचनाएँ "हिंदीजन डॉट कॉम" पर प्रकाशित कर प्रतिदिन हजारों पाठकों तक पहुँचना चाहते हैं तो यहाँ क्लिक करें.
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें
आपके बहुमूल्य सुझाव की प्रतीक्षा में...