हिंदी कविता- ऐ मेरे दोस्त

ऐ मेरे दोस्त!
मैं अब तक नहीं समझ पाया
कि यूँ तुम्हारे आने में
दिल-ओ-दिमाग़ पे छा जाने में
आख़िर बात क्या है
तुम्हारे आकर चले जाने में

तुम जो आए तो मेरे दिल ने
आहिस्ता ये मुझसे पूछा था
कि अब उसे लौटकर
आने की ज़रूरत क्या थी

दर्द बनकर जो मिलन का
एक-एक लम्हा
जिस्म से रूह तक समाया हो
उसे बस एक ज़रा सी रस्म
निभाने की ज़रूरत क्या थी

और अब एक बार फिर
जब तुम जा रहे हो
धडकनें एक मासूम सा सवाल करती हैं
क्या जाना जरुरी है?
ऐ मेरे ....... दोस्त!

दर्द भरी शायरी, ऐ मेरे दोस्त

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

देवनागरी लिपि - उत्पत्ति, नामकरण व विशेषताएँ | Devanagari Lipi

हिंदी भाषा में रोजगार के अवसर [करियर] Career in Hindi language

चार वेद, छ: शास्त्र, अठारह पुराण | 4 Ved 6 Shastra 18 Puranas