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बसंत पंचमी और सरस्वती पूजा Basant panchami aur Saraswati puja

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वसंत या बसंत | Basant Ritu को ऋतुराज अर्थात् ऋतुओं का राजा (King of all seasons) कहा जाता है। बसंत के मौसम में सूर्यदेव अपनी पूर्ण आभा के साथ प्रकट होने लगते हैं। हाड़कंपाऊ ठंड के बाद तापमान में आनंददायिनी ऊष्मा का संचार होता है। आम के बौरों से अमराइयाँ महकने लगती हैं। चारों ओर हरियाली दिखने लगती है। वातावरण में एक नई स्फूर्ति और ताजगी का वास होता है। नव-किसलय और मनमोहक पुष्पों की सुगंध से युक्त वासंती बयार दिग-दिगंत को सुवासित कर देती है। कोयल अपनी मधुर तान छेड़ देती है। मयूर नृत्य करने लगते हैं और ऐसा प्रतीत होता है मानों प्रकृति इस उल्लास में अपना सतरंगी आँचल लहराती हुई उन्मुक्त झूम रही हो। "बसंत (basant) को कामदेव का पुत्र  (son of Kamdev) माना जाता है और यह मान्यता है कि सौंदर्य के देवता काम के घर बसंत रूपी पुत्र के जन्म का समाचार पाकर प्रकृति आनंदातिरेक से झूम उठती है।" बसंत ऋतु का समय (Duration of basant ritu) और बसंत पंचमी | Basant panchmi बसंत ऋतु की शुरुआत बसंत पंचमी (basnat panchami) से होती है। बसंत पंचमी हिन्दी माह के अनुसार माघ महीने की पंचम...

एक सुंदर प्रेम कविता love poem - लौट आओ

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प्रियतम ने वादा किया था लेकिन वक्त पर भूल गया। ऐसा अक्सर हो जाता है। ऐसे में प्रेमिका का रूठना स्वाभाविक है। वह रूठ कर चली जाती है। फिर शुरू होता है मान-मनुहार का सिलसिला। प्रेमिका (पत्नी) को मनाने और उसे लौट आने की मिन्नतें करते-करते प्रियतम (पति) ने क्या-क्या कह दिया, क्या-क्या याद दिला दिया और कौन-कौन सी कसमें दे दीं! आनंद लें इन सुमधुर भावों का इस छोटी सी प्रेम कविता (love poem) में। कवि सोम ठाकुर की प्रेम कविता | Love Poem - 'लौट आओ' लौट आओ, माँग के सिंदूर की सौगंध तुमको, नयन का सावन निमंत्रण दे रहा है। लौट आओ, आज पहले प्यार की सौगंध तुमको, प्रीत का बचपन निमंत्रण दे रहा है। लौट आओ मानिनी, है मान की सौगंध तुमको, बात का निर्धन निमंत्रण दे रहा है। लौट आओ, हारती मनुहार की सौगंध तुमको, भीगता सावन निमंत्रण दे रहा है। 'सोम ठाकुर' पढ़ें: तुम मुझमें प्रिय फिर परिचय क्या

रामचरितमानस (तुलसी रामायण) के सात कांड || 7 Kand of Ramcharitmans (Tulsidas_Ramayan)

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रामचरितमानस (रामायण) : हिंदी साहित्य की अनमोल धरोहर  श्री रामचरितमानस (तुलसीकृत रामायण) हिंदी साहित्य की अमूल्य निधि है। इस महाकाव्य की रचना संत तुलसीदास द्वारा १६वीं शताब्दी में 'अवधी भाषा' में की गई थी। हिंदी भाषियों के बीच यह रामायण (Ramayan)  के रूप में ही प्रसिद्ध है। कहते हैं तुलसीदास जी महर्षि वाल्मीकि ही थे जिन्होंने कलयुग में तुलसीदास के रूप में जन्म लेकर रामायण को जनकल्याणकारी और सर्वसुलभ रूप में सामान्य जनमानस के समक्ष उद्घाटित किया और उसे नाम दिया- 'रामचरितमानस'। रामचरितमानस की हर चौपाई में सीता-राम हैं क्योंकि इसकी हर चौपाई में स, त, र, म अवश्य मिलेगा। इसी कारण इसकी एक-एक चौपाई को मंत्र की तरह प्रयोग किया जाता है। रामचरित मानस का भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व है। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम का आदर्श और अनुकरणीय जीवन चरित चित्रित करने वाले इस महाग्रंथ को यदि  "हिन्दू जनमानस की आदर्श आचार संहिता"  जाय तो   अनुचित न होगा। रामचरितमानस विश्व के सर्वाधिक लोकप्रिय पचास (५०) काव्य ग्रंथों में से एक है। माना जाता है कि तुलसी...