बसंत पंचमी और सरस्वती पूजा Basant panchami aur Saraswati puja

वसंत या बसंत | Basant Ritu को ऋतुराज अर्थात् ऋतुओं का राजा (King of all seasons) कहा जाता है। बसंत के मौसम में सूर्यदेव अपनी पूर्ण आभा के साथ प्रकट होने लगते हैं। हाड़कंपाऊ ठंड के बाद तापमान में आनंददायिनी ऊष्मा का संचार होता है। आम के बौरों से अमराइयाँ महकने लगती हैं। चारों ओर हरियाली दिखने लगती है। वातावरण में एक नई स्फूर्ति और ताजगी का वास होता है। नव-किसलय और मनमोहक पुष्पों की सुगंध से युक्त वासंती बयार दिग-दिगंत को सुवासित कर देती है। कोयल अपनी मधुर तान छेड़ देती है। मयूर नृत्य करने लगते हैं और ऐसा प्रतीत होता है मानों प्रकृति इस उल्लास में अपना सतरंगी आँचल लहराती हुई उन्मुक्त झूम रही हो। "बसंत (basant) को कामदेव का पुत्र (son of Kamdev) माना जाता है और यह मान्यता है कि सौंदर्य के देवता काम के घर बसंत रूपी पुत्र के जन्म का समाचार पाकर प्रकृति आनंदातिरेक से झूम उठती है।" बसंत ऋतु का समय (Duration of basant ritu) और बसंत पंचमी | Basant panchmi बसंत ऋतु की शुरुआत बसंत पंचमी (basnat panchami) से होती है। बसंत पंचमी हिन्दी माह के अनुसार माघ महीने की पंचम...