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भजन-हे री मैं तो प्रेम दिवानी

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हे री मैं तो प्रेम-दिवानी मेरो दरद न जाणै कोय। घायल की गति घायल जाणै जो कोई घायल होय। जौहरि की गति जौहरी जाणै की जिन जौहर होय।। सूली ऊपर सेज हमारी सोवण किस बिध होय। गगन मंडल पर सेज पिया की किस बिध मिलणा होय।। दरद की मारी बन-बन डोलूं बैद मिल्या नहिं कोय। मीरा की प्रभु पीर मिटेगी जद बैद सांवरिया होय।। - मीराबाई

भजन-पायो जी मैंने राम रतन धन पायो

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पायो जी मैंने राम रतन धन पायो ।। वस्तु अमोलिक दी म्हारे सतगुरु। किरपा कर अपनायो।। पायो जी मैंने राम रतन धन पायो।। जनम-जनम की पूँजी पाई। जग में सभी खोआयो।। पायो जी मैंने राम रतन धन पायो।। खरचे न खूटे वाको चोर न लूटे। दिन दिन बढ़त सवायो।। पायो जी मैंने राम रतन धन पायो।। सत की नाव खेवटिया सतगुरु। भवसागर तर आयो।। पायो जी मैंने राम रतन धन पायो।। मीरा के प्रभु गिरिधर नागर। हरष-हरष जस गायो।। पायो जी मैंने राम रतन धन पायो।। 'मीराबाई'